प्रश्न- इसमेँ ऐसी क्या बात है जो एक नामसे ही कल्याण है।
उत्तर- भगवानका यह कहना है कि अंत समय मेँ मेरा स्मरण होना ही कठिन है, यदि चेत भी रहा तो इतनी वेदना होती है कि नाम लेना कठिन हो जाता है । दूसरी बात यह है कि यह उसका अंतिम समय है । एक राजा भी यदि किसीको फाँसीकी सजा देता है तो उसको कहता है कि फाँसी तो तुमको होगी ही; परंतु तेरी जो इच्छा हो वह माँग लो । प्रभु तो दयालु हैँ, प्रभु जीवको यह मौका देते हैँ कि इस समय मनुष्य यदि एक बार भी कह दे कि प्रभु मैँ तेरा हुँ तो प्रभु उसे नहीँ त्यागते । दया इतनी है कि स्मरणमात्रसे ही कल्याण हो जाता है । प्रभु न्यायकारी भी हैँ और दयालु भी हैँ । दयाकी भी पराकाष्ठा है । जिस प्रकार कैमरेके सामने जैसी चीज होती है उसी प्रकार उसका चित्र आ जाता है, उसी प्रकार अंत समयमेँ जैसा हाव-भाव होगा, वैसा ही चित्र बन जायगा । अंतिम समयमेँ जिसका भी चिँतन करोगे वही बन जाओगे । गधेका चिँतन करोगे तो गधा बन जाओगे, भगवानका चिँतन करोगे तो भगवानको प्राप्त हो जाओगे ।
अंतकालकी स्मृतिमेँ कैसी विलक्षणता भरी हुई है । इसमेँ प्रभुकी दयालुता, समता तथा न्यायशीलता भरी हुई है । प्रभु विचार करते हैँ कि इस बेचारेका अंत हो रहा है, न जाने अब फिर कब बारी आयेगी इसलिए प्रभुने ऐसा कानून बना दिया जिससे एक क्षणमेँ उद्धार हो जाता है । अंत समय मेँ एक बार स्मरण किया कि काम खत्म ।
अंतकालकी स्मृतिमेँ कैसी विलक्षणता भरी हुई है । इसमेँ प्रभुकी दयालुता, समता तथा न्यायशीलता भरी हुई है । प्रभु विचार करते हैँ कि इस बेचारेका अंत हो रहा है, न जाने अब फिर कब बारी आयेगी इसलिए प्रभुने ऐसा कानून बना दिया जिससे एक क्षणमेँ उद्धार हो जाता है । अंत समय मेँ एक बार स्मरण किया कि काम खत्म ।
लगन लगन सब कोइ कहे लगन कहावे सोय।
नारायण जा लगनमेँ तन मन दीजे खोय ॥
नारायण जा लगनमेँ तन मन दीजे खोय ॥
भगवानके लिए सबकुछ त्यागनेको तैयार रहे । प्रभु-प्रेमके सामने किसीको कुछ न समझे । परमात्माकी प्राप्तिमेँ विलम्ब हो रहा है, यह अपनी ही कमी है । अपने विश्वासकी कमीके कारण ही विलम्ब हो रहा है, नहीँ तो भगवान तो सर्वत्र उपस्थित हैँ ही । एक स्त्रीने गलेमेँ हार पहन रखा है, पहन कर भूल गयी और कहने लगी कि मेरा हार खो गया, वही हाल हमारा हो रहा है ।