※हमको तो 60 वर्षों के जीवनमें ये चार बातें सबके सार रूप में मिली हैं - 1. भगवान् के नामका जप 2. स्वरुपका ध्यान 3. सत्संग(सत्पुरुषोंका संग और सत्त्-शास्त्रोंका मनन) 4. सेवा ※ जो ईश्वर की शरण हो जाता है उसे जो कुछ हो उसीमें सदा प्रसन्न रहना चाहिये ※ क्रिया, कंठ, वाणी और हृदयमें 'गीता' धारण करनी चाहिये ※ परमात्मा की प्राप्तिके लिए सबसे बढ़िया औषधि है परमात्माके नामका जप और स्वरुपका ध्यान। जल्दी-से-जल्दी कल्याण करना हो तो एक क्षण भी परमात्माका जप-ध्यान नहीं छोड़ना चहिये। निरंतर जप-ध्यान होनेमें सहायक है -विश्वास। और विश्वास होनेके लिए सुगम उपाय है-सत्संग या ईश्वरसे रोकर प्रार्थना। वह सामर्थ्यवान है सब कुछ कर सकता है।

शनिवार, 30 मार्च 2013

अमूल्य शिक्षा -१-


|| श्रीहरिः ||

आज की शुभतिथि-पंचांग

चैत्र कृष्ण, तृतीया, शनिवार, वि० स० २०६९

 

अपने आत्माके सामान सब जगह सुख-दुःखको समान देखना तथा सब जगह आत्मा को परमेश्वर में एकीभाव से प्रत्यक्ष की भाँती देखना बहुत ऊचा ज्ञान है |

चिन्तनमात्र का अभाव करते-करते अभाव करने वाली वृति भी शान्त हो जाए, कोई स्फुरणा भी शेष न रहे तथा एक अर्थमात्र वस्तु ही शेष रह जाए, यह समाधी का  लक्षण है |

श्री नारायनदेव के प्रेम में ऐसी निमग्नता हो की शरीर और संसार की सुधि न रहे, यह बहुत ऊँची भक्ति है |

नेति-नेति अभ्यास से ‘नेति-नेति’ रूप निषेध करनेवाले संस्कार का भी शान्त आत्मा में या परमात्मा में शान्त हो जाने के समान ध्यान की ऊँची स्तिथि और क्या होगी ?

परमेश्वर का हर समय स्मरण न करना और उसका गुणानुवाद सुनने के समय न मिलना बहुत बड़े शोक का विषय हैं  |

मनुष्य में दोष देखकर उससे घ्रणा या द्वेष नहीं करना चाहिये |  घ्रणा या द्वेष करना हो तो मनुष्य के अन्दर रहने वाले दोषरूपी विकारों से करनी चाहिये | जैसे किसी मनुष्य को प्लेग हो जाने पर उसके घरवाले प्लेग की बीमारी से बचाना अवश्य चाहते है, इसलिए अपने को बचाते हुए यथासाध्य चेष्टाभी पूरीतरह से करनी चाहिये, क्योकि वन उनका प्यारा है | इसी प्रकार जिस मनुष्य में चोरी, जारी आदि दोषरूपी रोग हो , उनको अपना प्यारा बन्धु समझकर उसके साथ घ्रणा या द्वेष न करके उसको रोग से बचाते हुए रोगमुक्त करने की चेष्टा करनी चाहिये |.....शेष अगले ब्लॉग में

श्रद्धेयजयदयाल गोयन्दका सेठजी, तत्त्वचिंतामणि पुस्तक से, गीताप्रेस गोरखपुर

नारायण ! नारायण !! नारायण !!! नारायण !!! नारायण !!!