|| श्रीहरिः ||
आज की शुभतिथि-पंचांग
* तुलसीदल के सिवा चलते फिरते या खड़े हुए कोई भी चीज कभी न खाय ।
* भोजन के आदि और अंत में आचमन करे ।
* एकान्त में दो आदमी बात करते हों तो उनकी सम्मतिके बिना उनके समीप न जाय ।
* जीव हिंसा को बचाता हुआ चले ।
* घी,दूध,शहद, तेल, जल आदि तरल पदार्थ छानकर काम में ले ।
* कर्तव्यका पालन न होने पर तथा अपने से बुरा काम बन जाने पर पश्चाताप करे,
जिससे फिर कभी वैसा ना हो ।
* कर्तव्यकर्म को झंझट मान लेने पर वह भार रूप हो जाता है, विशेष लाभदायक
नहीं होता ।
* वही कर्म भगवान् को याद रखते हुए प्रसन्नतापूर्वक मुग्ध होकर किया जाय तो
बहुत ऊँचे दर्जे का साधन बन जाता है ।
* अकर्मण्यता(कर्तव्यसे जी चुराना) महान हानिकारक है। पाप का प्रायश्चित है,
किन्तु इसका नहीं । अकर्मण्यता का त्याग ही इसका प्रायश्चित है ।
* कर्तव्य पालन रूप परम पुरुषार्थ ही मुक्ति का मुख्य साधन है ।
* कर्तव्य पालन रूप परम पुरुषार्थ ही मुक्ति का मुख्य साधन है ।
—श्रद्धेयजयदयाल गोयन्दका सेठजी, सत्संग की कुछ सार बातें पुस्तक से, गीताप्रेस गोरखपुर
नारायण ! नारायण !! नारायण !!! नारायण !!! नारायण !!!