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श्रीहरिः ।।
आज की शुभतिथि-पंचांग
फाल्गुन शुक्ल, द्वादशी, गुरूवार,
वि० स० २०७०
ब्राह्मणत्व की रक्षा परम आवश्यक है -१-
हिंदू जाति की आज जो दुर्दशा है,वह पराधीन है, दीन है, दुखी
है और सभी प्रकार से अवनत है; इसके कारण पर विचार करते समय आजकल कुछ भाई ऐसा मत
प्रकट किया करते है की वर्णाश्रम-धर्म के कारण ही हिन्दू जाति की ऐसी दुर्दशा हुई
है ।
वर्णाश्रम-धर्म न होता तो हमारी ऐसी स्थिति न होती । परन्तु
विचार करने पर मालूम होता है की इस मत को प्रकट करने वाले भाईओ ने वर्णाश्रम-धर्म
के तत्व को वस्तुत: समझा ही नहीं है ।
सच्ची बात तो यह है की जब तक इस देश में
वर्ण आश्रम-धर्म का सुचारू रूप से पालन होता था । तब तक देश स्वाधीन था तथा यहाँ
पर प्राय: सभी प्रकार की सुख-समृधि थी ।
जबसे वर्णाश्रम-धर्म के पालन में अवेहलना होने लगी, तभी से हमारी दशा बिगड़ने लगी ।
इतने पर भी वर्णाश्रम-धर्म की द्रढ़ता ने ही हिन्दू जाति को बचाए रखा है ।
वर्णाश्रम न होता और उसपर हिन्दू जाति की
आस्था न होती तो शताब्दियों में होने वाले आक्रमणों से और विजेताओ के प्रभाव से
हिन्दू जाति से अब तक नष्ट हो गयी होती ।...शेष अगले ब्लॉग में ।
—श्रद्धेयजयदयाल गोयन्दका सेठजी, तत्व चिंतामणि पुस्तक से, गीताप्रेस गोरखपुर
नारायण ! नारायण !! नारायण !!!
नारायण !!! नारायण !!!