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श्रीहरिः ।।
आज की शुभतिथि-पंचांग
29 April 2015, Wednesday
उस समय ऋषि-मुनियों को राक्षस लोग खा जाया करते थे और
आजकल के मनुष्य ही राक्षस है, वे गायों को खाकर चारों और हडियों के ढेरी लगा रहे
है । संसार में जब जायदा अत्याचार होता
है तब भगवान के बहुत-से जो भक्त होते है, उनमे वे प्रेरणा करते है । इस प्रकार वे वह काम कर लेते है तो भगवान् को आना
नही पडता । इसलिए हमलोग ही भगवान् के भक्त
बनकर अगर इस काम को करना चाहे तो भगवान् की मदद पाकर हमलोग भी कर सकते है, जैसे
अर्जुन ने भगवान् की मदद पाकर युद्ध में असाधारण वीरों को भी मार डाला । इसी प्रकार कम तो करने वाले भगवान् ही है, हम लोग तो
केवल निमितमात्र बनते है । अत: कम-से-कम निमितमात्र तो बनना ही चाहिए । एक तो हर एक भाईयों
को अपनी जैसी-जितनी शक्ति हो उसके अनुसार गोचर-भूमि छोडनी चाहिए । यदि यह शक्ति न हो तो घर में एक दो गाय रखनी चाहिए । यदि इतनी भी शक्ति न हो तो यही प्रतिज्ञा करनी चाहिए
की हम गऊ का ही दूध पीयेंगे, भैस का दूध नही पीयेंगे । इससे भी गायों को मदद मिलेगी और जैसे भी हो किसी
प्रकार से भी गायों की सर्वदा मदद करनी चाहिये ।......शेष अगले ब्लॉग में ।
—श्रद्धेयजयदयाल
गोयन्दका सेठजी, कल्याण वर्ष ८९, संख्या ०३ से,
गीताप्रेस गोरखपुर
नारायण ! नारायण !! नारायण !!!
नारायण !!! नारायण !!!