※हमको तो 60 वर्षों के जीवनमें ये चार बातें सबके सार रूप में मिली हैं - 1. भगवान् के नामका जप 2. स्वरुपका ध्यान 3. सत्संग(सत्पुरुषोंका संग और सत्त्-शास्त्रोंका मनन) 4. सेवा ※ जो ईश्वर की शरण हो जाता है उसे जो कुछ हो उसीमें सदा प्रसन्न रहना चाहिये ※ क्रिया, कंठ, वाणी और हृदयमें 'गीता' धारण करनी चाहिये ※ परमात्मा की प्राप्तिके लिए सबसे बढ़िया औषधि है परमात्माके नामका जप और स्वरुपका ध्यान। जल्दी-से-जल्दी कल्याण करना हो तो एक क्षण भी परमात्माका जप-ध्यान नहीं छोड़ना चहिये। निरंतर जप-ध्यान होनेमें सहायक है -विश्वास। और विश्वास होनेके लिए सुगम उपाय है-सत्संग या ईश्वरसे रोकर प्रार्थना। वह सामर्थ्यवान है सब कुछ कर सकता है।

शुक्रवार, 25 नवंबर 2011

* भगवन्नाम का तत्त्व *



॥ श्रीहरिः ॥





* भगवन्नाम का तत्त्व *

असलमेँ नाम और नामीमेँ कोई भेद नहीँ है । वे भिन्न होते हुए भी सर्वथा अभिन्न हैँ । गीतामेँ भगवान कहते हैँ- 'यज्ञानां जपयज्ञोऽस्मि' (१० । २५) । 'सब यज्ञोँमेँ जपयज्ञ मैँ हूँ' -अर्थात् अन्य समस्त यज्ञ तो मेरी प्राप्तिके साधन हैँ, पर जपयज्ञ (नाम-जप) तो स्वयं मैँ ही हूँ । जो इस तत्त्वको हृदयंगम कर लेता है, ठीक-ठीक समझ लेता है, वह नामको कभी भूल नहीँ सकता ।

जो नित्य-निरंतर भगवानके नामका जप करता रहता है वह सद्गुणोँका समुद्र बन जाता हैजिस प्रकार सागरमेँ अनंत जलराशि होती है, उसी प्रकार उसमेँ अनंत सद्गुण आ जाते हैँ । इससे सिद्ध होता है कि नाम बीजकी तरह है । जैसे बीजके बो देनेपर उसमेँसे फूलकर अंकुर उत्पन्न होता है एवं वही पुष्पित और पल्लवित होकर विशाल वृक्ष बन जाता है, वैसे ही नाम जपनेवालेमेँ अनायास ही सारे सद्गुणोँका प्रादुर्भाव हो जाता है ।

इसके लिए मनुष्यको भगवन्नामके गुण, प्रभाव, तत्त्व और रहस्यको समझना चाहिए । इस प्रकार समझनेसे ही उसकी नाममेँ परम श्रद्धा होती है और श्रद्धासहित किया हुआ जप ही तत्काल पूर्ण फल देता है । अतः भगवानके नाममेँ अतिशय श्रद्धा उत्पन्न हो, इसके लिए हमलोगोँको सत्पुरुषोँका संग करना चाहिए । सत्पुरुषोँका संग न मिलने पर हमेँ सत्-शास्त्रोँका- जिनमेँ भगवान और उनके नामके तत्त्व, रहस्य, गुण, प्रभाव, श्रद्धा और प्रेमकी बातेँ बतायी गयी होँ -अनुशीलन करना चाहिए । इस प्रकार करने से भगवन्नाममेँ श्रद्धा-प्रेम उत्पन्न हो जाता है और किये हुए जपका फल भी, जिसका शास्त्रोँमेँ वर्णन है, तत्काल प्रत्यक्ष देखनेमेँ आ सकता है ।