जिनके अच्छे आचरण हो , उन्हें भगवान् भी चाहते है के ऐसा व्यक्ति मेरे धाम में आये | अच्छे आचरण वाले भगवान् के धाम में जाते है, अत एव हमे अच्छे आचरण बनाने चाहिए | भगवान् के यहाँ ऐसे व्यवस्था है के वहा बुरे आचरण वाले नहीं जा सकते |
स्त्रियों को चाहिए की घर में उनकी विसम्ता है, उसे दूर करे | लड़का और लड़की में पहले छोटी अवस्था में जब तक लड़के का विवाह नहीं होता है, तब तक लड़के से विशेष प्रेम रहता है और लड़की से कम | जब लड़के का विवाह हो जाता है तो लड़के से प्रेम घट कर विवाहित लड़की से प्रेम बढ जाता है | लड़की को घरवालो से छिपा कर गुप्त रूप से देना बुरी आदत है, अत एव लड़की के अपेक्षा लड़के के बहु पर जायदा प्रेम रखना चाहिए, अन्यथा वह बहु लड़के के सामने शिकायत करके लड़के को भी विरुद्ध बना देती है और सारे घर में कलह रहता है |
वधु को भी चाहिए की सास की कोई बात अपने पीहर वाले से नहीं कहे और न पति से कहे | यदि माता का प्रेम लड़की पर अधिक रहे और छिप छिप करके दे तो लड़के और लड़के की बहु ऐसा कहने लगते है के कब यह लड़की अपने ससुराल जाये | पुत्र वधु को चाहिये के सास और ससुर के सेवा तन, मन से करे | सेवा में उनको मुग्ध कर दे |पिता और पुत्र को भी अपना सुधार करना चाहिए | आपस में प्रेम बढाना चाहिए |
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प्रवचन दिनक २५\४\१९४७, प्रातकाल ७ बजे , वट व्रक्ष, स्वर्गाश्रम
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