अब आगे......
अनाज आदि खाने की चीजोंमें दुसरे घटिया अनाज
मिलाये जाते हैं----मिटटी मिलायी जाती है । जीरा, धनिया आदि किरानेकी
और सरसों तिल आदि तिलहन चीजों में भी दूसरी चीज या मिट्टी मिलायी जाती है । किसान तो मामूली मिट्टी मिलते हैं परन्तु व्यापारी लोग भी उसी रंग कि मिट्टी
खरीद कर मिलाया करते हैं । वजन ज्यादा करने के लिये बरसात में माल गीली जगह
रखते हैं जिससे कहीं-कहीं माल सड जाता है, खाने वाले चाहे बीमार हो जायँ, पर
व्यापारियों के घरों में पैसे अधिक आने चाहिये । गल्ला आदि जहाँ रखा जाता है वहां पहलेसे ही घटिया माल तो निचे या कोनों में
रखते हैं और बढ़िया माल सामने नमूना दिखाने कि जगह रखा जाता है, वजन में भी बुरा
हाल है । लेन-दें के बाट भी दो तरह प्रकार के होते हैं ।
पाट के व्यापार में भी चोरियों कि कमी नहीं है । वजन बढाने के लिये पानी मिलाया जाता है । मीलों मे माल पास करानेवाले बाबुओं को कुछ दे-दिलाकर बढ़िया के कोंट्राक्ट
में घटिया माल दे दिया जाता है । वजन में चोरी होती ही है । इसी तरह रुईमें पानी तथ धुल मिलायी जाती है । पाटकी तरह इनकी गांठों के अन्दर भी ख़राब माल छिपाकर दे दिया जाता है ।
सभी चीजों में किसानों से माल खरीदते समय दामों में, वजन में, घटिया के
बदले बढ़िया माल लेने में धोखा देकर लूटने कि चेष्टा रहती है और बेचते समय इससे
उल्टा व्यवहार करने कि कोशिश होती है ।
खाद्य पदार्थों में भी शुद्ध घी, तेल, या आटा तक
मिलाना कठिन हो गया है । ऐसा कोई काम नहीं जो व्यापारी लोभवश न करते हों । घीमें चरबी, तैल, विलायती घी और मिट्टी का तैल मिलाया जाता है । सरसों के साथ तीसी, रेडी तो मिलते ही है परन्तु बड़ी-बड़ी मिलोंमें कुसुमके
बीज भी मिलाये जाते हैं । जिसके तैल से बदहजमी, संग्रहणी, हैजा आदि बीमारियाँ
फैलती हैं । मनुष्य दुःख पाते हैं, मर जाते हैं । परन्तु लोभियों को इस बात कि कोई परवाह नहीं । इसी तैल कि खली गायों को खिलाई
जाती हा जिससे उनके अनेक प्रकार कि बीमारियाँ हो जाती हैं । गौभक्त और गोसेवक कहलाने वाले लोगों कि यह गन्दी करतूत है । ऐसी मीलों मे जब जांच के लिये सरकारी अफसर आते हैं तो उन्हें धोखा देकर या
कुछ भेंट पूजा देकर पिण्ड छुड़ा लिया जाता है । साइनबोर्ड पर `जलानेका तैल` लिखकर भी दण्ड से बचनेकी चेष्टा कि जाती है ।
नारियल, तिल, सरसों आदि के तेलों
में कई तरह के विलायती किरासिन तैल मिलाये जाते हैं जो पेट में जाकर भांति-भांति
कि बीमारियाँ पैदा करते हैं ।
आजकल देश मे
जो अधिक बीमारी फैल रही है, घर-घर में रोगी दिख पड़ते हैं इसका एक प्रधान कारण
व्यापरियों का लोभवश खाद्य पदार्थोंमें अखाद्य चीजों का मिला देना भी है । शेष
अगले ब्लॉग में....
नारायण ! नारायण ! नारायण ! नारायण ! नारायण
!
[ पुस्तक 'तत्व-चिन्तामणि` श्रीजयदयालजी गोयन्दका कोड ६८३, गीता प्रेस,गोरखपुर ]
[ पुस्तक 'तत्व-चिन्तामणि` श्रीजयदयालजी गोयन्दका कोड ६८३, गीता प्रेस,गोरखपुर ]