|| श्री हरी ||
देश के कल्याण के लिए संस्कृत,आयुर्वेद,हिंदी तथा
गीता-रामायण के प्रचार की आवश्यकता
हिन्दुस्तान और हिन्दीभाषा
हमारे इस भारतवर्ष का नाम पहले ‘आर्यवर्त’ था, जिसे हिंदुस्तान भी कहते है |
मुसलमान भाई ‘हिन्दू’ शब्द का प्रयोग काफ़िर के अर्थ मीन करते हैं, किन्तु हमारे
लिए ‘हिन्दू’ शब्द पवित्र और गौरव की वस्तु है | हमारे इस देश का नाम हिन्दुस्तान
क्यों पड़ा? हिमालय का ‘हि’ और ‘बिंदु’ का ‘न्दू’ इस प्रकार इन दोनों के आदि और अंत
के दो शब्दों को लेकर ‘हिन्दू’ शब्द बना है | हिमालय से तात्पर्य है –उतर में
स्तिथ ऊँचा गौरीशंकर पहाड़ (हिमगिरी) और बिंदु से अभिप्राय है – पूर्व और पश्चिम
सहित दक्षिण समुन्द्र अथवा यु सैमझो की हिमालय का ‘हि’ और सिन्धु (समुद्र) का
‘न्दू’ लेकर ‘हिन्धू’ शब्द बना है; उसी का अपब्ब्रंश ‘हिन्दू’ शब्द है | हिमालय से
लेकर दक्षिण समुन्द्र तक के बीच का जो देश है, उसका नाम है – ‘हिन्दुस्थान’ और जो
इसमें बसते है, उनकी जाति है – ‘हिन्दू’ और उनकी भाषा है ‘हिंदी’ | उनका जो धर्म
है वह ‘हिन्दुधर्म’ कहलाता है और उनके चाल-चलन, आहार-व्यवाहर तथा वेश-भूषा
को कहते है –‘हिन्दू-संस्कृति’ | इन सबकी रक्षा से ही हिन्दू जाति और
हिन्दू धर्म की रक्षा हो सकती है |
अत: हिन्दुस्थान में निवास करने वाले भाइयों को अपनी रक्षा के लिए अपने
हिन्दुस्थान की भाषा, वेश-भूषा, खान-पान और चाल-चलन को ही अपनाए रहना चाहिए,
विदेशी प्रभाव में आकर इन्हें कभी नहीं बदलना चाहिए | जो जाति अपनी संस्कृति को
छोडकर दूसरी जाति की संस्कृति को आना लेती है, वह नष्ट हो जाती है |
हमारी प्राचीन भाषा है –संस्कृत और वर्तमान भाषा है हिंदी तथा हमारी लिपि है –देवनागरी
| हमारी प्राचीन भाषा संस्कृत तो
राष्ट्र भाषा न हो सकी तो हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा के रूप में अवश्य ही
समृद्ध की जानी चाहिए | श्रुति-स्मृति-इतिहास-पुराणौक्त जो अनादी काल से चला
आनेवाला सनातन धर्म है,वही हमारी आर्यजाति हिन्दुस्थानियो का सनातन हिन्दू धर्म है
| प्रत्येक हिंदुस्थानी भाई को ऐसी चेष्टा करनी चाहिए की जिससे कम-से-कम अपने देश
हिन्दुस्थान में तो हमारा हिन्दू-धर्म, हिन्दूजाति, हिन्दीभाषा और हिन्दू-संस्कृति
सदा कायम रखे | नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण
ब्रह्मलीन परम श्रधेय श्री जयदयालजी गोयन्दका
कल्याण अंक, वर्ष ८५, संख्या ९, पन्ना न० ८७७, गीताप्रेस,
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश २७३००५