|| श्री हरिः ||
आज की शुभ तिथि – पंचांग
पौष शुक्ल, नवमी, रविवार, वि० स० २०६९
गौओ के ह्रास होने में निम्नलिखित कारण मुख्य है –
1.
जनता के अन्दर प्रतिदिन धर्म और ईश्वर का भय कम होता जा रहा है | अत: कम दूध
देने वाली और दूध न देने वाली गौओ को कसाई के हाथ बेचने में अधिकाँश हिन्दू जनता
भय नहीं करती |
2.
बहुत से निर्दय किसान दूध न देने वाली गौओ को अपने घर से निकाल देते है | वे
मारी-मारी फिरती है और अंत में मवेशीखाने में पहुँचाई जाकर कसाई के हाथ में पड़ जाती
है |
3.
प्रतिवर्ष सूखे और ताजें मॉस केलिए तथा चमड़े के लिए लाखो जीवित गौओ की हत्या
की जाती है |
4.
बहुत से धन के लोभी, हीन वृत्ति वाले मनुष्य अधिक दूध देने वाली गौओ को खरीदकर उनके
बछड़ो को तो निरर्थक समझकर कसाई के हाथ बेच देते है और फुँके के द्वारा उन गौओ को
विवश करके उनका सारा दूध निकाल लेते है | परिणाम यह होता है कि कुछ ही दिनों में
वे गौए निक्कमी हो जाती है और उस समय वे उन्हें कसाई के हाथ बेच देते है |
5.
सांड अच्छे न मिलने के कारण गौओ की नसल बिगड़ती जा रही है, उनसे अच्छी संतान
उत्पन्न नहीं हो सकती | उनके बच्चे बहुत ही कम आयु वाले, कमजोर,और दुबले पतले होते
है |
6.
गौओ के निमित्त छोड़ी हुई गोचर भूमि को जमींदार और किसान आदि लोभवश जोतते जाते है
| अत: चारे के अभाव में प्रतिवर्ष हजारों गौएँ मर जाती है |
7.
मॉस खाने वाले मनुष्य के लिए और बाढ़,महामारी, अकाल, आदि दैवी कोप के कारण
प्रतिवर्ष लाखो की संख्या में गौएँ नष्ट हो जाती हैं |
नारायण ! नारायण !! नारायण !!! नारायण !!! नारायण !!!
जयदयाल गोयन्दका सेठजी, तत्त्वचिंतामणि
पुस्तक कोड ६८३ , गीताप्रेस गोरखपुर