|| श्री हरि
||
आज की शुभ
तिथि – पंचांग
पौष शुक्ल,
दशमी, सोमवार, वि० स० २०६९
गौओ का ह्रास को रोकने के लिये निम्नलिखित उपाय काम में लाये
जा सकते है –
1.
धार्मिक पुरुषों को चाहिये कि पत्र और व्याख्यान आदि द्वारा लोगो में धार्मिक भाव
उत्पन्न करे, जिससे धार्मिक भावो की वृद्धि होकर लोगो में गौओ के प्रति दया का
सन्चार हो और वे लोग गौओ को कसाई के हाथ न बेचें तथा दूध न देने वाली गौओं की
उपेक्षा भी न करें |
2.
पशुओ के अभाव से देश की दुर्दशा दिखलाकर सरकार के पास अपील करते हुए, जो
प्रतिवर्ष हजारों टन मॉस विदेश में भेजनें के लिए गौओं की हत्या की जाती है, उसे
बंद किया जाना चाहिये |
3.
मॉस खाने वाले भारतवासियो को मॉस की अपेक्षा दूध-घी में अधिक लाभ दिखलाकर तथा
गौओ के ह्रास से देश का पतन अनिवार्य है, यह समझाकर प्रेमपूर्वक शांति से मॉस खाने
से रोकना चाहिये |
4.
अतिशय तत्परता के साथ फूँके के प्रथा (जो कि कानून के भी सर्वथा विरुद्ध है )
को ग्राम-ग्राम में चेष्टा करके सरकार के द्वारा बंद कराना चाहिये |
5.
प्रत्येक ग्राम में अच्छी नस्ल की गौओं की वृद्धि हो, इसके लिए धनिक एवं
गौशाला अध्यक्षो को अच्छी नस्ल के सांडो को पालना चाहिये | अथवा सरकार से अच्छी
नस्ल के सांडों का प्रबन्ध करवाना चाहिये
|
6.
सरकार, धनिक, जमींदार, किसान आदि से प्रार्थना करके सभी ग्रामो में गोचर भूमि
छुड़वाने की चेष्टा करनी चाहिये |
7.
जहाँ बाढ़, भूकम्प, अकाल आदि दैवी कोप से चारे के अभाव के कारण गौएँ मरती हों,
वहाँ तन, मन, धन लगाकर उनके चारे आदि का प्रबन्ध करके उसको मृत्यु के मुख से बचाने
के लिये यथेष्ट परिश्रम करना चाहिये |
8.
प्रत्येक किसान और गृहस्थ को अपने-अपने घरों में यथा शक्ति कम-से-कम एक या दो
गौओं को अवश्य पालना चाहिये |
9.
पूर्ण रूप से आन्दोलन करके ऐसे कानून बनवाने चाहिये, जिससे गौ वध कतई बंद हो
जाय |
विचारवानो
को उचित है कि उपयुर्क्त उपायों को काम में लाते हुए यथा शक्ति गौओ की रक्षा करें
| अर्जुने ने तो गौरक्षा के लिए बारह वर्ष का वनवास स्वीकार किया था, इस समय उतना
न हो सके तो जितनी बन सके उतनी चेष्टा तो तन, मन, धन से करनी चाहिये |
नारायण ! नारायण !! नारायण !!! नारायण !!! नारायण !!!
जयदयाल गोयन्दका सेठजी, तत्त्वचिंतामणि
पुस्तक कोड ६८३ , गीताप्रेस गोरखपुर