|| श्री हरि: ||
आज की शुभ
तिथि – पंचांग
गंगाजी के प्रवाह का, हवा, पशु, पक्षीआदि का जो शब्द सुनाई
दे उसमे ऐसी भावना करे की शब्द ही भगवान है | किसी प्रकार का भी शब्द सुनाई क्यों
न दे ‘नादं ब्रह्म’ शब्द को ही ब्रह्म समझे |जो कुछ भी सुनाई दे वह भगवान है |
चाहे कोई गाली दे, चाहे आशीर्वाद दे, दोनों को ही भगवान समझे | यदि गाली सुनकर हमे
दुःख होता है तो फिर हमने शब्द को भगवान कहा समझा ? भगवान समझने पर तो
आनन्द-ही-आनन्द होगा | भगवान के दर्शनों से जो आनन्द है, गाली को सुनने से भी उसी आनन्दका अनुभव करे, इस बात से भी कल्याण हो जाता है |
संकल्पमात्र (स्फुरणामात्र) को भगवान का स्वरुप समझकर
एकान्त में आँखे मीचकर बैठ जावे | मन जहाँ जाता है और जो कुछ देखता है सब भगवान है
ऐसी भावना करे | यह निश्चय कर ले की मेरा मन भगवान के सिवा और किसी वस्तु का
चिन्तन नहीं करता है | मन घट, पट आदि जिस किसी भी पदार्थ का चिन्तन करे उसकी को
भगवान समझ ले, उसमे भगवद बुद्धि कर ले | यह विश्वास कर ले की जो कुछ मन चिन्तन
करता है वह भगवान है | भगवान का स्वरुप वही है जो मन चिन्तन करता है | चाहे वह
स्त्री, पुत्र, धन आदि का ही चिन्तन करे; उनको स्त्री,पुत्र एवं धन न समझे,किन्तु
भगवान समझे |पत्थर तथा वृक्ष जिस किसी का भी चिन्तन करे सब भगवान है | जैसा दीखे
वैसा ही भगवान का स्वरुप मान ले | यह भी कल्याण प्राप्ति का सीधा रास्ता है | ऊपर
जितनी बाते बतलाई गयी है, उनमे से एक-एक के पालन से कल्याण हो सकता है | हाँ, यह
बात जरुर है की श्रद्धा और रूचि के तारतम्य के कारण किसी साधन में समय अधिक लगता है
और किसी में कम | लेकिन कल्याण सभी से होता है |
शेष अगले ब्लॉग में ...
नारायण
नारायण नारायण..नारायण नारायण नारायण... नारायण नारायण नारायण....
ब्रह्मलीन परमश्रद्धेय श्रीजयदयालजी गोयन्दका, भगवत्प्राप्ति
के विविध उपाय, कोड ३०९, गोरखपुर