※हमको तो 60 वर्षों के जीवनमें ये चार बातें सबके सार रूप में मिली हैं - 1. भगवान् के नामका जप 2. स्वरुपका ध्यान 3. सत्संग(सत्पुरुषोंका संग और सत्त्-शास्त्रोंका मनन) 4. सेवा ※ जो ईश्वर की शरण हो जाता है उसे जो कुछ हो उसीमें सदा प्रसन्न रहना चाहिये ※ क्रिया, कंठ, वाणी और हृदयमें 'गीता' धारण करनी चाहिये ※ परमात्मा की प्राप्तिके लिए सबसे बढ़िया औषधि है परमात्माके नामका जप और स्वरुपका ध्यान। जल्दी-से-जल्दी कल्याण करना हो तो एक क्षण भी परमात्माका जप-ध्यान नहीं छोड़ना चहिये। निरंतर जप-ध्यान होनेमें सहायक है -विश्वास। और विश्वास होनेके लिए सुगम उपाय है-सत्संग या ईश्वरसे रोकर प्रार्थना। वह सामर्थ्यवान है सब कुछ कर सकता है।

सोमवार, 15 अप्रैल 2013

सत्संग की कुछ सार बातें- १



|| श्रीहरिः ||

आज की शुभतिथि-पंचांग

चैत्र शुक्ल, पंचमी ,  सोमवार वि० स० २०७०

*  मनुष्य-जीवन के समय को अमूल्य समझकर उत्तम-से-उत्तम काममें  व्यतीत करना चाहिए। एक क्षण भी व्यर्थ नहीं बिताना चाहिये । 
 
*    यदि किसी कारणवश कभी कोई क्षण भगवत-चिंतनके बिना बीत जाय तो उसके लिए पुत्रशोकसे भी बढ़कर घोर पश्चाताप करना चाहिये, जिससे फिर कभी ऐसी भूल न हो ।
 
*    जिसका समय व्यर्थ होता है, उसने समय का मूल्य समझा ही नहीं ।
 
*   मनुष्यको कभी निकम्मा नहीं रहना चाहिये ; अपितु सदा-सर्वदा उत्तम-से-उत्तम कार्य करते रहना चाहिये ।
* मनसे भगवान् का चिंतन, वाणीसे भगवान् के नामका जप, सबको नारायण समझकर शरीर से जगज्जनार्दनकी नि:स्वार्थ सेवा यही उत्तम-से-उत्तम कर्म है ।
 
*  बोलने के समय सत्य, प्रिय, मिट और हितभरे शास्त्रानुकूल वचन बोलने चाहिये ।
 
*    अपने दोषों को सुनकर चित्त में प्रसन्नता होनी चाहिये ।
 
*    यदि कोई हमारा दोष सिद्ध करे तो उसके लिए जहाँ तक हो , सफाई नहीं देनी चाहिये; क्योंकि सफाई देने से दोषों की जड़ जमती है तथा दोष बतलानेवालेके चित्त में भविष्य के लिए रूकावट होती है । इससे हम निर्दोष नहीं हो पाते ।
 
* यदि हम निर्दोष हैं तो दोष सुनकर हमें मौन हो जाना चहिये, इससे हमारी कोई हानि नहीं है और सदोष हैं तो अपना सुधार करना चहिये ।
 
*  दोष बताने वाले का गुरुतुल्य आदर करना चाहिये, जिससे भविष्य में उसे दोष बताने में उत्साह हो ।


श्रद्धेयजयदयाल गोयन्दका सेठजी, सत्संग की कुछ सार बातें पुस्तक से, गीताप्रेस गोरखपुर

नारायण ! नारायण !! नारायण !!! नारायण !!! नारायण !!!