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श्रीहरिः ।।
आज की शुभतिथि-पंचांग
मार्गशीर्ष कृष्ण, त्रयोदशी, रविवार,
वि० स० २०७०
.....गीताजयंती विशेष
लेख ..... एकादशी से एकादशी तक ......
गीता -३-
१९. श्लोकों को जो भाव है उसके उनसार धारण करने की कोशिश
करना दूसरी कक्षा पास है ।
२०. गीताजी के अनुसार गुणों को धारण कर लेना अवगुण को निकाल
देना तीसरी भूमिका है ।
२१. संसार की उन्नति के लिए विद्यालयों द्वारा गीता का
प्रचार करना चाहिए ।
२२. गीताजी का अर्थसहित अभ्यास करने से बहुत लाभ है, क्योकि
अन्तकाल तक याद रह्जावे तो उद्धार हो जाय ।
२३. गीता में एक-एक शब्द हीरा, माणिक जड़ा है ।
२४. मेरा मत क्या है, गीता । गीता
के विरुद्ध चाहे कुछ क्यों न हो मेरे को मान्य नहीं है ।
२५. श्रुति, स्मृति सबका सार गीता है ।
२६. श्रीगीता जी का घर-घर में प्रचार करना चाहिए । रोम-रोम
में रमानी चाहिए ।
२७. गीता एक परम रहस्यमय ग्रन्थ है । इसमें सम्पूर्ण वेद और
शास्त्रों का सार संग्रह किया गया है ।
—श्रद्धेयजयदयाल गोयन्दका सेठजी, परमार्थ-सूत्र-संग्रह पुस्तक से, पुस्तक कोड ५४३, गीताप्रेस गोरखपुर, उत्तरप्रदेश , भारत
नारायण ! नारायण !! नारायण !!!
नारायण !!! नारायण !!!