※हमको तो 60 वर्षों के जीवनमें ये चार बातें सबके सार रूप में मिली हैं - 1. भगवान् के नामका जप 2. स्वरुपका ध्यान 3. सत्संग(सत्पुरुषोंका संग और सत्त्-शास्त्रोंका मनन) 4. सेवा ※ जो ईश्वर की शरण हो जाता है उसे जो कुछ हो उसीमें सदा प्रसन्न रहना चाहिये ※ क्रिया, कंठ, वाणी और हृदयमें 'गीता' धारण करनी चाहिये ※ परमात्मा की प्राप्तिके लिए सबसे बढ़िया औषधि है परमात्माके नामका जप और स्वरुपका ध्यान। जल्दी-से-जल्दी कल्याण करना हो तो एक क्षण भी परमात्माका जप-ध्यान नहीं छोड़ना चहिये। निरंतर जप-ध्यान होनेमें सहायक है -विश्वास। और विश्वास होनेके लिए सुगम उपाय है-सत्संग या ईश्वरसे रोकर प्रार्थना। वह सामर्थ्यवान है सब कुछ कर सकता है।

रविवार, 1 दिसंबर 2013

.....गीताजयंती विशेष लेख ...गीता -३-.. एकादशी से एकादशी तक ......


।। श्रीहरिः ।।

आज की शुभतिथि-पंचांग

मार्गशीर्ष कृष्ण, त्रयोदशी, रविवार, वि० स० २०७०

 
.....गीताजयंती विशेष लेख ..... एकादशी से एकादशी तक ......

गीता -३-

१९. श्लोकों को जो भाव है उसके उनसार धारण करने की कोशिश करना दूसरी कक्षा पास है ।

२०. गीताजी के अनुसार गुणों को धारण कर लेना अवगुण को निकाल देना तीसरी भूमिका है ।

२१. संसार की उन्नति के लिए विद्यालयों द्वारा गीता का प्रचार करना चाहिए ।

२२. गीताजी का अर्थसहित अभ्यास करने से बहुत लाभ है, क्योकि अन्तकाल तक याद रह्जावे तो उद्धार हो जाय ।

२३. गीता में एक-एक शब्द हीरा, माणिक जड़ा है ।

२४. मेरा मत क्या है, गीता । गीता के विरुद्ध चाहे कुछ क्यों न हो मेरे को मान्य नहीं है

२५. श्रुति, स्मृति सबका सार गीता है ।

२६. श्रीगीता जी का घर-घर में प्रचार करना चाहिए । रोम-रोम में रमानी चाहिए ।

२७. गीता एक परम रहस्यमय ग्रन्थ है । इसमें सम्पूर्ण वेद और शास्त्रों का सार संग्रह किया गया है । 

श्रद्धेयजयदयाल गोयन्दका सेठजी, परमार्थ-सूत्र-संग्रह पुस्तक से, पुस्तक कोड ५४३, गीताप्रेस गोरखपुर, उत्तरप्रदेश , भारत  

नारायण ! नारायण !! नारायण !!! नारायण !!! नारायण !!!