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श्रीहरिः ।।
आज की शुभतिथि-पंचांग
मार्गशीर्ष शुक्ल, पञ्चमी, शनिवार,
वि० स० २०७०
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गीताजी की आज्ञा भगवानकी आज्ञा समझनी चाहिए।
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मेरी दृष्टिमेँ गीतासे
बढ़कर संसारमेँ और कोई शास्त्र है ही नहीँ, गीता
वेदसे भी बढ़कर है।
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गीता भगवानकी साक्षात
वाङ्गमयी मूर्ति है ।
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गीता भगवानके साक्षात
श्वास है ।
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गीताजीका अर्थसहित,
भावसहित अवश्य ही मनन करना चाहिए।
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गीता हमलोगोँको त्याग
सिखलाती है-आसक्तिका त्याग, अहंताका त्याग, ममताका त्याग ।
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जिस तरह भगवानका सबमेँ
प्रवेश है यानी भगवान व्यापक हैँ,उसी तरह अपने लोगोँका
गीतामेँ प्रवेश होना चाहिए यानी हमारे रोम-रोममेँ गीता होनी चाहिए।
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कल्याण तो इनमेँसे किसी
एक ही बातसे हो जाय-
(क) गीताजीमेँ प्रवेश हो जाय,बस इतनेमेँ ही मामला
समाप्त है ।
(ख) सबको
नारायणका स्वरुप समझकर सेवा करे,इतनेमेँ ही कल्याण हो जायगा।
(ग)
गीताजीका एक ही श्लोक धारण कर ले,इतनेमेँ ही काम बन जायगा ।
गीताका ज्ञान ,गोविँद का ध्यान गंगा का स्नान गौका दान गायत्रीका गान-ये पाँचो बहुत
उत्तम हैँ सभी कल्याण करनेवाली है।
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गीता के अनुसार अपना
जीवन बनाना चाहिए।
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गीताका प्रचार लोगोँ मेँ
करना चाहिए।भगवानकी भक्तिका प्रचार करना,लोगोँको
भक्तिमार्गमेँ लगाना इससे बढ़कर कोई काम नहीँ है।
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गीता-प्रचारको सभी
बातोँसे ऊँची समझकर भगवान कहते हैँ-
न
च तस्मान्मनुष्येषु कश्चिन्मे प्रियकृत्तमः।
भविता न च मे
तस्मादन्यः प्रियतरो भूवि॥(गीता 18.69)
उससे
(गीता प्रचारकसे) बढ़कर मेरा प्रिय कार्य करनेवाला मनुष्योँमेँ कोई
भी नहीँ है;तथा पृथ्वीभरमेँ उससे बढ़कर मेरा प्रिय दूसरा कोई
भविष्यमेँ होगा भी नहीँ।
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गीताका जो प्रचार करते
हैँ तथा जो लोगोँको इसमेँ लगाते हैँ,उनसे
बढ़कर संसारमेँ कोई भी नहीँ है।
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गीता-प्रचार करनेवाले
लोगोँसे बढ़कर मेरा प्यारा कोई नहीँ है।
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गीताकी पुस्तकको खूब आदर
देना चाहिए।
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गीताको भगवान से भी
बढ़कर बतावेँ तो भगवान नाराज नहीँ होँगे।
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गीतामेँ स्नान करनेवाला
संसारका उद्धार कर सकता है,गीता गायत्रीसे भी बढ़कर है।
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गीता सुनते हुए मरनेवाला
पाठ करनेवाला अर्थसहित पाठ करनेवाला अर्थ समझनेवाला धारण करनेवाला-ये उत्तरोत्तर श्रेष्ठ
हैँ।
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गीता निष्पक्ष ग्रंथ
है।वाममार्गकी भी गीता निँदा नहीँ करती।
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सारे शास्त्र दब जायँगे
तो गीता जीती-जागती रह जायगी।
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गीताके प्रचारके लिए तो
हमेँ सेनाकी तरह तैयार हो जाना चाहिए।
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गीता का पाठ सुननेवाला
भी मुक्त हो जाता है।
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श्री जयदयाल गोयन्दका सेठजी
(अमृत वचन पुस्तक से )