※हमको तो 60 वर्षों के जीवनमें ये चार बातें सबके सार रूप में मिली हैं - 1. भगवान् के नामका जप 2. स्वरुपका ध्यान 3. सत्संग(सत्पुरुषोंका संग और सत्त्-शास्त्रोंका मनन) 4. सेवा ※ जो ईश्वर की शरण हो जाता है उसे जो कुछ हो उसीमें सदा प्रसन्न रहना चाहिये ※ क्रिया, कंठ, वाणी और हृदयमें 'गीता' धारण करनी चाहिये ※ परमात्मा की प्राप्तिके लिए सबसे बढ़िया औषधि है परमात्माके नामका जप और स्वरुपका ध्यान। जल्दी-से-जल्दी कल्याण करना हो तो एक क्षण भी परमात्माका जप-ध्यान नहीं छोड़ना चहिये। निरंतर जप-ध्यान होनेमें सहायक है -विश्वास। और विश्वास होनेके लिए सुगम उपाय है-सत्संग या ईश्वरसे रोकर प्रार्थना। वह सामर्थ्यवान है सब कुछ कर सकता है।

शुक्रवार, 17 जनवरी 2014

आत्मोन्नतिमें सहायक बातें -३-


।। श्रीहरिः ।।

आज की शुभतिथि-पंचांग

माघ कृष्ण, प्रतिपदा, शुक्रवार, वि० स० २०७०

 
आत्मोन्नतिमें सहायक बातें -३-

 

गत ब्लॉग से आगे...  समय बहुत कम है । भगवान् पर निर्भर होकर जोरके साथ चलना चाहिये । लाख रूपये खर्च करनेपर भी एक मिनटका समय भी और नहीं मिल सकता । इसलिये सारा समय भगवान् की प्राप्ति के उपाय में ही लगाना चाहिये ।

समय बहुत कम रह गया है-ऐसा समझकर घबराये नहीं कि अब कल्याण कैसे होगा । अबसेलेकर मरणपर्यन्त जो भी समय है, उसमे भगवान् को नहीं भूलना चाहिये । हर समय भगवान् को पकडे रखना चाहिये । भगवान् को निरन्तर याद रखना ही पकडे रखना है । भगवान् को पकडे रहोगे तो फिर तुम्हारे कल्याण में कोई शंका नहीं है । यमराज की भी सामर्थ्य नहीं, जो तुम्हे नरक में ले जा सके ।

परमात्मा ने हमको बुद्धि-विवेक दिया है, उसे काम में लाना चाहिये । वही मनुष्य बुद्धिमान है, जो अपने समय का एक क्षण भी व्यर्थ नहीं बिताता और सारा समय अच्छे-से-अच्छे काम में लगाता है ।

चाहे कोई कैसा भी पापी-से-पापी भी क्यों  न हो, उसका भी कल्याण हो सकता है । केवल शर्त यही है की अबसे लेकर मृत्यु-पर्यन्त भगवान् को भूले नहीं । भगवान् को हर समय याद रखना ही सबसे बढ़कर उपाय है ।......शेष अगले ब्लॉग में ।

 

श्रद्धेयजयदयाल गोयन्दका सेठजी, साधन-कल्पतरु पुस्तक से, गीताप्रेस गोरखपुर

नारायण ! नारायण !! नारायण !!! नारायण !!! नारायण !!!