※हमको तो 60 वर्षों के जीवनमें ये चार बातें सबके सार रूप में मिली हैं - 1. भगवान् के नामका जप 2. स्वरुपका ध्यान 3. सत्संग(सत्पुरुषोंका संग और सत्त्-शास्त्रोंका मनन) 4. सेवा ※ जो ईश्वर की शरण हो जाता है उसे जो कुछ हो उसीमें सदा प्रसन्न रहना चाहिये ※ क्रिया, कंठ, वाणी और हृदयमें 'गीता' धारण करनी चाहिये ※ परमात्मा की प्राप्तिके लिए सबसे बढ़िया औषधि है परमात्माके नामका जप और स्वरुपका ध्यान। जल्दी-से-जल्दी कल्याण करना हो तो एक क्षण भी परमात्माका जप-ध्यान नहीं छोड़ना चहिये। निरंतर जप-ध्यान होनेमें सहायक है -विश्वास। और विश्वास होनेके लिए सुगम उपाय है-सत्संग या ईश्वरसे रोकर प्रार्थना। वह सामर्थ्यवान है सब कुछ कर सकता है।

शुक्रवार, 24 जनवरी 2014

आत्मोन्नतिमें सहायक बातें -१०-


।। श्रीहरिः ।।

आज की शुभतिथि-पंचांग

माघ कृष्ण, अष्टमी, शुक्रवार, वि० स० २०७०

 
आत्मोन्नतिमें सहायक बातें -१०-

 

गत ब्लॉग से आगे…..  संसार के विषयों को विष के समान समझकर इनका त्याग करना चाहिये; क्योकि विष से तो मनुष्य एक जन्म में ही मरता हैं, किन्तु विषयों के सुखोपभोग से तो मरने का ताँता ही लग जाता है ।

 

हरेक काम में स्वार्थ, आराम और अहंकार को दूर रखकरव्यवहार करना चाहिये; फिर आपका व्यव्हार उच्च कोटि का हो सकता है ।

 
किसी व्यक्ति ने अपनी सेवा स्वीकार कर ली तो उनकी अपने पर बड़ी दया माननी चाहिये ।

 
किसी कार्य में मान-बडाई हो, वहाँ मान, बड़ाई, प्रतिष्ठा दुसरे को देनी चाहिये तथा स्वयं मान, बड़ाई, प्रतिष्ठा से हट जाना चाहिये ।

 
असली बात तो यह है की एक मिनट भी जो भगवान् को भूलना है, वह बड़ी भारी खतरे की चीज है ; क्योकि जिस क्षण भगवान् की विस्मृति हो जाती है, उस क्षण यदि हमारे प्राण चले जाय तो हमारे लिए बहुत खतरा है ; इसलिए बचे हुए जीवन का एक क्षण भगवान् की स्मृति के बिना नही जाना चाहिये । यदि आप कहे की रात्रि में सोते हुए प्राण निकल गए तो क्या उपाय है, तो इसके लिए आप चिंता न करे । जाब आपके जाग्रत अवस्था में १८ घंटे निरन्तर भजन होने लगेगा तो उसके बल से रात्रि में सोते हुए स्वप्न में भी आपके प्राय: भजन ही होना सम्भव है ।                   


श्रद्धेयजयदयाल गोयन्दका सेठजी, साधन-कल्पतरु पुस्तक से, गीताप्रेस गोरखपुर

नारायण ! नारायण !! नारायण !!! नारायण !!! नारायण !!!