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श्रीहरिः ।।
आज की शुभतिथि-पंचांग
माघ कृष्ण, अष्टमी, शुक्रवार, वि० स० २०७०
आत्मोन्नतिमें सहायक बातें -१०-
गत ब्लॉग से आगे….. संसार के विषयों को विष के समान समझकर इनका
त्याग करना चाहिये; क्योकि विष से तो मनुष्य एक जन्म में ही मरता हैं, किन्तु
विषयों के सुखोपभोग से तो मरने का ताँता ही लग जाता है ।
हरेक काम में स्वार्थ, आराम और अहंकार को दूर
रखकरव्यवहार करना चाहिये; फिर आपका व्यव्हार उच्च कोटि का हो सकता है ।
किसी कार्य में मान-बडाई हो, वहाँ मान, बड़ाई,
प्रतिष्ठा दुसरे को देनी चाहिये तथा स्वयं मान, बड़ाई, प्रतिष्ठा से हट जाना चाहिये
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—श्रद्धेयजयदयाल गोयन्दका सेठजी, साधन-कल्पतरु पुस्तक से, गीताप्रेस गोरखपुर
नारायण ! नारायण !! नारायण !!!
नारायण !!! नारायण !!!