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श्रीहरिः ।।
आज की शुभतिथि-पंचांग
फाल्गुन कृष्ण , चतुर्दशी, शुक्रवार,
वि० स० २०७०
जरत्कारू मुनि का उपदेश
श्री जरत्कारू मुनि ने अपनी पत्नी से पतिसेवा का
महात्म्य बतलाते हुए कहा है-
‘पति का अप्रिय करने वाली स्त्री का तप, उपवास, व्रत
और दान आदि जो कुछ भी पुण्यकर्म है, सब के सब निष्फल हो जाते है ।’ (ब्रह्मवैवर्त० प्रकति० ४६|३४)
‘हे सती ! जो बुरे कुल में उत्पन्न हुई स्त्री अपने
पति का अप्रिय कार्य करती है तथा प्रियतम को अप्रिय वचन कहती है, उसका फल सुनो; वह
स्त्री जब तक चन्द्रमा और सूर्य रहते है, तब तक कुम्भीपाक नरक में पड़ी रहती है और
उसके बाद पति और पुत्र से रहित चण्डाल होती है ।’ (ब्रह्मवैवर्त०
प्रकति० ४६|३८-३९)
—श्रद्धेयजयदयाल गोयन्दका सेठजी, साधन-कल्पतरु पुस्तक से, गीताप्रेस गोरखपुर
नारायण ! नारायण !! नारायण !!!
नारायण !!! नारायण !!!