※हमको तो 60 वर्षों के जीवनमें ये चार बातें सबके सार रूप में मिली हैं - 1. भगवान् के नामका जप 2. स्वरुपका ध्यान 3. सत्संग(सत्पुरुषोंका संग और सत्त्-शास्त्रोंका मनन) 4. सेवा ※ जो ईश्वर की शरण हो जाता है उसे जो कुछ हो उसीमें सदा प्रसन्न रहना चाहिये ※ क्रिया, कंठ, वाणी और हृदयमें 'गीता' धारण करनी चाहिये ※ परमात्मा की प्राप्तिके लिए सबसे बढ़िया औषधि है परमात्माके नामका जप और स्वरुपका ध्यान। जल्दी-से-जल्दी कल्याण करना हो तो एक क्षण भी परमात्माका जप-ध्यान नहीं छोड़ना चहिये। निरंतर जप-ध्यान होनेमें सहायक है -विश्वास। और विश्वास होनेके लिए सुगम उपाय है-सत्संग या ईश्वरसे रोकर प्रार्थना। वह सामर्थ्यवान है सब कुछ कर सकता है।

शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2014

सत्संग और महात्माओं का प्रभाव -३ –


।। श्रीहरिः ।।

आज की शुभतिथि-पंचांग

माघ शुक्ल, अष्टमी, शुक्रवार, वि० स० २०७०

 सत्संग और महात्माओं का प्रभाव  -३ – 

गत ब्लॉग से आगे…..दुसरे नम्बर का सत्संग है-भगवान के प्रेमी भक्तो का या सत-रूप परमात्मा को प्राप्त जीवनमुक्त पुरुष का सँग तीसरे नम्बर का सत्संग है-उन उच्चकोटि के साधकों का सँग, जो परमात्मा की प्राप्ति के लिए साधन कर रहे है चौथे नम्बर का सत्संग उन सत-शास्त्रों के स्वाध्याय को कहते है, जिनमे भक्ति, ज्ञान, वैराग्य और सदाचार का वर्णन है ऐसे सत-शास्त्रों का सदा प्रेमपूर्वक पठन, मनन और अनुशीलन करने से भी सत्संग का ही लाभ प्राप्त होता है

इनमे सर्वश्रेष्ठ प्रथम नम्बर का सत्संग है तो भगवान् की कृपा से ही मिलता है उसी के लिए सारी साधनाएँ की जाती है परन्तु संसार में महापुरुषों का-महात्माओं का सँग प्राप्त होना भी कोई साधारण बात नही है यह भी बड़े ही सोभाग्य से मिलता है

पुण्यपुंज बिनु मिलही न संता सत्संगति संसृति कर अंता ।।

पुन्यपुंज यानी पूर्व के महान शुभ-संस्कारों के संग्रह से ही महापुरुषों का सँग मिलता है ऐसे सत्संग का फल संसार के आवागमन से यानी जन्म-मरण से सर्वथा छुट जाना है महात्मा के सँग से जैसा लाभ होता है, वैसा लाभ संसार के किसी के भी सँग से नही हो सकता संसार में लोग पारस की प्राप्ति को बड़ा लाभ मानते है, परन्तु सत्संग का लाभ तो बहुत ही विलक्षण है .... शेष अगले ब्लॉग में.

श्रद्धेयजयदयाल गोयन्दका सेठजी, साधन-कल्पतरु पुस्तक से, गीताप्रेस गोरखपुर

नारायण ! नारायण !! नारायण !!! नारायण !!! नारायण !!!