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श्रीहरिः ।।
आज की शुभतिथि-पंचांग
चैत्र कृष्ण, चतुर्थी, गुरुवार, वि० स० २०७०
ब्राह्मणत्व की रक्षा परम आवश्यक है -८-
गत ब्लॉग से आगे...उपयुक्त शब्दों से ब्राह्मण के स्वरुप और महत्व का
अच्छा परिचय मिलता है ।
इसी प्रकार मनु महाराज ने भी कहा है –
‘स्थावर जीवो में प्राणधारी श्रेस्ठ है, प्राणधारियो
में बुद्धिमान: बुद्धिमानों में मनुष्य और मनुष्यों में ब्राह्मण श्रेस्ठ कहे गए
है । ब्राह्मणों में विद्वानों, विद्वानों में कृत बुद्धि (अर्थात जिनकी
शास्त्रोक्त कर्म में बुद्धि है) कृत बुद्धियो में शास्त्रोक्त कर्म करने वाले और
उनमे भी ब्रह्म्वेता ब्राह्मण श्रेस्ठ है । उत्पन्न हुआ ब्राह्मण पृथ्वी पर सबसे
श्रेस्ठ है; क्योकि वह सब प्राणियो के धर्म समूह की रक्षा के लिए समर्थ मना गया है
। (मनु० १ । ९६,९७,९८)
ब्राह्मणों की निंदा का निषेध करते हुए भीष्म पितामह
युधिस्ठिर से कहते है –
‘हे राजन ! जो अज्ञानी मनुष्य ब्राह्मणों की निंदा
करते है, में सत्य कहता हूँ की वे नष्ट हो जाते, इसमें कुछ भी संदेह नहीं है ।’
(महा अनु० ३३ । १८)
‘ब्राह्मणों की निंदा कभी नहीं सुननी चाहिये । यदि कही
ब्राह्मण-निंदा होती हो तो वहा या तो निचा सिर करके चुप चाप बैठा रहे अथवा वहाँ से उठ कर वहाँ से
चला जाए । इस पृथ्वी पर ऐसा कोई भी मनुष्य न जन्मा है और न जन्मेगा ही जो
ब्राह्मणों से विरोध करके सुख से जीवन व्यतीत कर सके ।’ (महा अनु० ३३ । २५-२६) ।.....शेष अगले ब्लॉग में ।
—श्रद्धेयजयदयाल गोयन्दका सेठजी, तत्व चिंतामणि पुस्तक से, गीताप्रेस गोरखपुर
नारायण ! नारायण !! नारायण !!!
नारायण !!! नारायण !!!