※हमको तो 60 वर्षों के जीवनमें ये चार बातें सबके सार रूप में मिली हैं - 1. भगवान् के नामका जप 2. स्वरुपका ध्यान 3. सत्संग(सत्पुरुषोंका संग और सत्त्-शास्त्रोंका मनन) 4. सेवा ※ जो ईश्वर की शरण हो जाता है उसे जो कुछ हो उसीमें सदा प्रसन्न रहना चाहिये ※ क्रिया, कंठ, वाणी और हृदयमें 'गीता' धारण करनी चाहिये ※ परमात्मा की प्राप्तिके लिए सबसे बढ़िया औषधि है परमात्माके नामका जप और स्वरुपका ध्यान। जल्दी-से-जल्दी कल्याण करना हो तो एक क्षण भी परमात्माका जप-ध्यान नहीं छोड़ना चहिये। निरंतर जप-ध्यान होनेमें सहायक है -विश्वास। और विश्वास होनेके लिए सुगम उपाय है-सत्संग या ईश्वरसे रोकर प्रार्थना। वह सामर्थ्यवान है सब कुछ कर सकता है।

गुरुवार, 20 मार्च 2014

ब्राह्मणत्व की रक्षा परम आवश्यक है -८-


।। श्रीहरिः ।।

आज की शुभतिथि-पंचांग

चैत्र कृष्ण, चतुर्थी,  गुरुवार, वि० स० २०७०

ब्राह्मणत्व की रक्षा परम आवश्यक है  -८-

गत ब्लॉग से आगे...उपयुक्त शब्दों से ब्राह्मण के स्वरुप और महत्व का अच्छा परिचय मिलता है । 

इसी प्रकार मनु महाराज ने भी कहा है –

‘स्थावर जीवो में प्राणधारी श्रेस्ठ है, प्राणधारियो में बुद्धिमान: बुद्धिमानों में मनुष्य और मनुष्यों में ब्राह्मण श्रेस्ठ कहे गए है । ब्राह्मणों में विद्वानों, विद्वानों में कृत बुद्धि (अर्थात जिनकी शास्त्रोक्त कर्म में बुद्धि है) कृत बुद्धियो में शास्त्रोक्त कर्म करने वाले और उनमे भी ब्रह्म्वेता ब्राह्मण श्रेस्ठ है । उत्पन्न हुआ ब्राह्मण पृथ्वी पर सबसे श्रेस्ठ है; क्योकि वह सब प्राणियो के धर्म समूह की रक्षा के लिए समर्थ मना गया है । (मनु० १ । ९६,९७,९८)

ब्राह्मणों की निंदा का निषेध करते हुए भीष्म पितामह युधिस्ठिर से कहते है –

‘हे राजन ! जो अज्ञानी मनुष्य ब्राह्मणों की निंदा करते है, में सत्य कहता हूँ की वे नष्ट हो जाते, इसमें कुछ भी संदेह नहीं है ।’ (महा अनु० ३३ । १८)

‘ब्राह्मणों की निंदा कभी नहीं सुननी चाहिये । यदि कही ब्राह्मण-निंदा होती हो तो वहा या तो निचा सिर करके  चुप चाप बैठा रहे अथवा वहाँ से उठ कर वहाँ से चला जाए । इस पृथ्वी पर ऐसा कोई भी मनुष्य न जन्मा है और न जन्मेगा ही जो ब्राह्मणों से विरोध करके सुख से जीवन व्यतीत कर सके ।’ (महा अनु० ३३ । २५-२६) ।.....शेष अगले ब्लॉग में

श्रद्धेयजयदयाल गोयन्दका सेठजी, तत्व चिंतामणि पुस्तक से, गीताप्रेस गोरखपुर

नारायण ! नारायण !! नारायण !!! नारायण !!! नारायण !!!