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श्रीहरिः ।।
आज की शुभतिथि-पंचांग
चैत्र शुक्ल, पूर्णिमा, मंगलवार,
वि० स० २०७०
गीताप्रेस के संस्थापक - प्रस्तावना -२-
गत ब्लॉग से आगे.... कार्य क्षेत्र –
सेठजी का जन्म एक व्यापारिक घर में हुआ था इसलिए सेठजी जहाँ रहते थे, जाते थे वहीं
उनका कार्यक्षेत्र रहा । जन्मस्थान चुरू, व्यापार-स्थल सर्वप्रथम चुरू ततपश्चात
सीतामढ़ी, चक्रधरपुर एवं उसके बाद बाकुंडा रहा । कार्य की दृष्टि से कोलकत्ता,
गोरखपुर और स्वर्गाश्रम (ऋषिकेश) इत्यादि प्रमुख स्थल थे । इसके अतिरिक्त सेठजी ने
भगवान भजनाश्रम, वृन्दावन एवं नवदीप का कार्य भी संभाला था ।
प्रणीत साहित्य-सेठजी ने भगवदगीता पर एक टीका
तैयार की थी जो गीता-तत्वविवेचनी के नाम से प्रकाशित हुई है । यह इनकी परम प्रिय
पुस्तक थी । इसके अतिरिक्त इनके द्वारा लिखित एवं प्रवचनों के आधार पर प्रकाशित
लगभग ११५ पुस्तके है । गीता की बारहवी अध्याय के भावों पर उनकी गजल गीता नमक कविता
है । रात्रि में सोते समय इनका पाठ करने से विशेष लाभ होगा, ऐसा बताया करते थे । स्वामी रामसुखदास जी महाराज सेठ जी के द्वारा लिखित ‘ध्यानवस्था
में प्रभु से वार्तालाप’ एवं ‘प्रेमभक्तिप्रकाश’ नामक पुस्तकों को प्रासादिक
ग्रन्थ बताया करते थे । वे कहाँ करते थे जैसे श्रीमदभगवदगीता, रामचरितमानस पाठक पर
स्वयं कृपा करते है, वही स्थिति इन पुस्तकों की है । इसके अतिरिक्त संक्षिप्त
महाभारत एवं अन्य कई पुराणों का संक्षिप्त रूप से प्रकाशन सेठ जी के सम्पादन में
हुआ ।... शेष अगले ब्लॉग में ।
गीताप्रेस के संस्थापक, गीता के परम प्रचारक,
प्रकाशक श्रीविश्वशान्ति आश्रम, इलाहाबाद
नारायण ! नारायण !! नारायण !!!
नारायण !!! नारायण !!!