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श्रीहरिः ।।
आज की शुभतिथि-पंचांग
वैशाख शुक्ल, त्रयोदशी, सोमवार, वि० स० २०७१
गीताप्रेस के संस्थापक-कुछ रहस्यात्मक प्रसंग-१७-
गत ब्लॉग से आगे….....गीताभवन, स्वर्गाश्रम में पहले पक्के कमरे तो कम थे,
कोठरियाँ थी । जिसमे सेठजी सत्संगी भाई-बहनों को यथायोग्य ठहराया करते थे । एक दिन
रात्रि में अचानक तेज बारिश होने लगी । जिस स्थान में पण्डित हरी प्रसादजी नापासर
वाले अपनी माँ के साथ ठहरे थे उसमे कुछ जायदा ही पानी चुने लगा । उनकी माँ खीजकर
बोली की ‘सेठजी मुहँ देखकर ही टीका काढते है’ ऐसा कहने में उनका यह रहा होगा की हम
गरीब है इसलिए हमे टुटा स्थान दिया है । इतने में सेठजी हाथ में लालटेन लिए पहुचे
और बोले माँजी ! आप दूसरी जगह चले, यहाँ पानी काफी गिर रहा है । आपकी व्यवस्था
दूसरी जगह कर दी है ।
* * * *
एक लड़का अपनी मौसी के साथ जोधपुर से गीताभवन, स्वर्गाश्रम
में सेठजी से मिलने आया । सेठजी ने कहा की आपलोग समय, रुपया खर्च करके इतनी दूर
से हमसे मिलने आये इसके अलावा आप क्या कर
सकते है, तुमोगों को यह मान लेना चाहिये की अब तुमलोगों का पुनर्जन्म नहीं होगा ।
वापस जाने पर लड़के की मौसी उस समय मरी जब लड़का घर से बहुत दूर था । उसके आने से
पहले दाह-संस्कार हो चुका था । वापस आते ही लड़का फूट-फूटकर रोने लगा । रोते-रोते
उसे नीद आ गयी । नीद में उसे उसकी मौसी दिखायी दी और उससे बोली की तुम्हे सेठजी की
बात याद नही है क्या ? भूल गए । तुम्हारे रोने से मुझे मुक्ति में बाधा पहुच रही
है । आँख खुलते ही लड़का प्रसन्न मन से मौसी के कार्य में लग गया ।
* * * *
शिवभगवानजी क्याल की सेठजी में विशेष श्रद्धा थी । उनकी
लडकी विवाह के योग्य हो गयी । उनकी पत्नी ने कहा की लडकी के विवाह की चिन्ता क्यों
नहीं करते है ? वे बोले की मैं खोजने जाऊँगा नही, कोई चलाकर आएगा तो विवाह कर
दूंगा । उसी रात उन्हें स्वप्न में सेठजी दीखे और पूछे की क्या हालचाल है ? वे
बोले सब कुछ तो ठीक है लेकिन मेरी स्त्री लडकी के विवाह के लिए कह रही है । सेठजी
बोले-इसका विवाह तो वैशाख शुक्ल सप्तमी को निकला है । शिवभगवान जी बोले अभी तो
इसकी सगाई भी नही हुई है फिर विवाह कैसे होगा ? सेठजी ने कहा की इसके विवाह की
तिथि यही है । सेठजी की बतायी हुई निश्चित तिथि पर ही कन्या का विवाह हुआ ।
* * * *
बरेली निवासी ठाकुर प्रसाद जी जैन
आडिट हेतु गीताप्रेस पधारा करते थे । एक बार तार मिला की उनका लड़का मर गया है ।
सेठजी प्रवचन के लिए जा रहे थे । जैन साहब ने उनसे कहा की तार आया है, मेरा लड़का
मर गया है, मैं घर जा रहा हूँ । सेठजी ने कहा-पहुचकर राजी-खुशी का समाचार दीजियेगा
। सुखदेवजी ने जैनजी से कहा की आप निश्चिन्त होकर जाईये । आपका लड़का मरा नही है,
क्योकि सेठजी ने पहुचकर राजीखुशी का समाचार देने के लिए कहा है । वह तार झूठा
निकला । ......
शेष अगले ब्लॉग में
गीताप्रेस के संस्थापक, गीता के परम प्रचारक,
प्रकाशक श्रीविश्वशान्ति आश्रम, इलाहाबाद
नारायण ! नारायण !! नारायण !!! नारायण !!! नारायण !!!