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श्रीहरिः ।।
आज की शुभतिथि-पंचांग
24 April 2015, Friday
मॉस के विषय में मनु जी ने बतलाया है की हिंसा करने
वाले, उसमे सम्मति देने वाले, बिक्री करने वाले, पकाने वाले और खाने वाले-ये सभी
सामान भाव से पाप के भागी होते है । इस बात को सुन कर आप सबको इसके विरोध में आज से ही प्रतिज्ञा कर लेनी चाहिए
की जिन होटलों में गौ माँस पकाया जाता है, हम कभी उन होटलों में नही जायेंगे । कुछ लोग कहते है की हम होटलों में तो जाते है पर
माँस नही खाते । माँस भले ही न खाओं पर उसका रस
दाल में, भात में, परसनेवाली चम्मच आदि के द्वारा पड जाता होगा, सारे सामानों में
चम्मच पडती ही होगी, हाथ वही, संसर्ग वही । उसके परमाणु तो आ ही जाते होंगे । इसलिए होटलों में न जाने की शपथ लेनी चाहिए । होटलों में न जाने से मर तो जायेंगे नही, होटलों में
गए बिना भी संसार बहुत लोग जी रहे है, कोई मर नही रहे है । यह एक मामूली बात है । इसलिए हम लोगों को यह प्रतिज्ञा कर ही लेनी है की
किसी भी होटल में जाकर हम भोजन नही करेंगे । यह भी मामूली बात है, उत्तम बात तो यह है की बाजार
की कोई भी चीज नही खायी जाय, चाहे खोमचे की हो या मिठाई हो अथवा पान हो या चाय ;
क्योकि बाजार की सभी चीजे अपवित्र, चीनी अपवित्र, जल अपवित्र-सभी अपवित्र । इनका त्याग न हो सके तो कम से कम होटलों में खाने का
त्याग तो कर ही देना चाहिए ।......शेष अगले ब्लॉग में ।
—श्रद्धेयजयदयाल
गोयन्दका सेठजी, कल्याण वर्ष ८९, संख्या ०३ से,
गीताप्रेस गोरखपुर
नारायण ! नारायण !! नारायण !!!
नारायण !!! नारायण !!!