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श्रीहरिः ।।
आज की शुभतिथि-पंचांग
26 April 2015, Sunday
दूसरी बात यह है की जिसे आप अपनी यथाशक्ति कर सकते
है-हम गाय का दूध पीते है, इसलिए हमे हर एक प्रकार से गाय की सेवा करनी चाहिए । जहाँ कही गौ-रक्षा आन्दोलन हो उसमे भाग लेना चाहिए,
गायों की हिंसा बन्द हो जानी चाहिए । कुछ लोग कहते है की यदि गाय कटना बिलकुल बन्द हो जायेंगी तो बूढी गायों को
घास और चारा कहाँ से मिलेगा । चारा पैदा करने वाले भगवान संसार में मौजूद है, भगवान् कही मरा नही है । उसके भरोसे पर आप गौओं का पालन करे ।
इस विचार से तो यह सवाल पैदा हो सकता है की जो
बूढ़े-बूढ़े आदमी हो गए है, उनको मार डालना चाहिए; क्योकि वे निक्कमे हो गए । वे काम तो कुछ करते नही, अन्न खा जाते है, जवान आदमी
के हिस्से का अन्न खा जायेंगे तो जवान आदमी खाने बिना मरेंगे, बूढ़े आदमी को खिलाने
से कोई जवान मरा है आज तक ? सब बेवकूफी की बात है, बेसमझी की बात है । इतने जंगल हमारे हिन्दुस्तान में पड़े है, लाखों
गायें जंगलों में रह कर अपना जीवन निर्वाह कर सकती है, घास खा कर जी सकती है,
इसलिए उन गायों को हम जंगलों में छोड़ दे तो अपनी पूरी आयु पाकर वे मरेंगी और
चरेंगी जंगलों में ।
और दूसरी बात यह है की उन गायों को
हम खेत में रखकर चराए तो आप हिसाब लगा कर देखे गऊ से जो गोबर होता है, उसी तथा जो
गाय मूत्र करती है उससे खेती की उपज में वृद्धि होती है । गौमूत्र से खेती अधिक पैदा होती है । एक मन खाद दी जाती है तो उसी कई मन अनाज पैदा होता
है ।......शेष अगले ब्लॉग में ।
—श्रद्धेयजयदयाल
गोयन्दका सेठजी, कल्याण वर्ष ८९, संख्या ०३ से,
गीताप्रेस गोरखपुर
नारायण ! नारायण !! नारायण !!!
नारायण !!! नारायण !!!